माझ्या कविता व चारोळ्या
8.05.2009
निस्तब्ध
एकान्तात भेटलो दोघे
तीही निस्तब्ध मिहि निस्तब्ध
भान्डन चालले मुके मुके
कोण फेकेल पहिला शब्द
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लक्ष्मण शिर्के
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