माझ्या कविता व चारोळ्या
8.05.2009
पहात रहा
देनारांनी देत रहा
घेनारांनी घेत रहा
पन देनारा घेनारांकड़े
बाकी सगळ्यान्नि पहात रहा
________________
लक्ष्मण शिर्के
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment