सहकाराचा उगम होताना
खुप होता विश्वास
पण पांढरया डगले वाल्यांनी
गरिबाचा नेहमीच तोडला घास
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लक्ष्मण शिर्के
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शब्द ओठात मुरताना
मज खुपच वाटे खंत
अजुन किती दिवस तु
राहणार अशी शांत शांत
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लक्ष्मण शिर्के
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तो येईल तुला भेटायला
नक्किच तो दिवस येईल
क्षण असेल तुझा आनंदी
सर्व दुख निघुन जाईल
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लक्ष्मण शिर्के
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एकदा का होईना जवळून
अपयश काय असते ते पहायचय
परिस्थितीला तोंड कस देतात
एकदाच बघुन घ्यायचय
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लक्ष्मण शिर्के
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अपयश येईल अशी
कोणतीही गोष्ट करु नये
माहित असुनही उगीचच
विस्तव हातात धरु नये
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लक्ष्मण शिर्के
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