1.30.2010

काही म्हण मला आता

काही म्हण मला आता
त्याचा फरक नाही पडणार
पण तुझ्याशी केलेली वेडी मैत्री
मी कधीच नाही सोडणार
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लक्ष्मण शिर्के
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तुझ्या मिठीतील गोडवा
नेहमीच मला भावतो
जसा थंडीच्या दिवसातील गारठा
क्षणार्धात निघुन जातो
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लक्ष्मण शिर्के
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शब्द असतात मोती हिरे
शब्द असते मन गहिरे
कधी शांत सागरी लाटा
तर कधी "तुफानी वादळ" वारे
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लक्ष्मण शिर्के
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डोळ्यांचे ही किमया
फारच न्यारी असते
डोळे असुन आंधळे बनन्याची
चाल काहींना प्यारी असते
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लक्ष्मण शिर्के
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विश्वासाच्या माणसाने ऐकले नाही कि
माझे मन खुप दुखावते
नुसती दाद जरी दिली त्याने
तरी मन ह्रद्यापासुन सुखावते
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लक्ष्मण शिर्के

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