1.30.2010

सुखात आणि दुखात

सुखात आणि दुखात
डोळ्यात पाणी आहे
प्रत्येकाची इथे एक
वेगळी कहाणी आहे
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लक्ष्मण शिर्के
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पुर्व क्षितिजावरुन सुर्यराजा
जेव्हा घेवुन येतो गंध
आसमंतात दरवळतो तेव्हा
मंद धुंद सुगंध
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लक्ष्मण शिर्के
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प्रेमाचा सुगंध मजला
नेहमीच खात राहतो
भरभरुन प्रेमाचे घडे
सदासर्वदा मागत राहतो
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लक्ष्मण शिर्के
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एकांतातल्या क्षणांचा हल्ली
जास्त विचार करत नाही
पुन्हा न मिळणारया गोष्टींसाठी
सारखा सारखा झुरत नाही
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लक्ष्मण शिर्के
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आठवणी मनात जपताना
खंत खुप दाटुन येते
मला पुन्हा पुन्हा वेड्यासारखे
भुतकाळच्या भावविश्वात नेते
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लक्ष्मण शिर्के

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