1.30.2010

स्वप्नातील तुझ्या आठवणी

स्वप्नातील तुझ्या आठवणी
श्वास बनुन राहत आहेत
सावली आहेत माझ्यासाठी
नयन माझे पहात आहेत
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लक्ष्मण शिर्के
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मिटलेल्या डोळ्यान्ना मन साक्ष देते
तिच्या नाजुक ओठान्वर माझे लक्ष होते
खुप वेळा मनाला आवरत होतो
पण निर्दयी मनाचे ते एक भक्ष होते
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लक्ष्मण शिर्के
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कितितरी वेळाला मनाला
समजविन्याचा प्रयत्न केला
प्रत्येक वेळी निष्फ़ळ होवुन
काळ आणि वेळ वाया गेला
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लक्ष्मण शिर्के
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मन असते दिलदार
परिस्थिती घात करते
त्यातुनही कट्टर मन
तिच्यावर मात करते
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लक्ष्मण शिर्के
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तु हसव चारोळ्यातुन मला
ते तब्येतीला पण बरे असते
क्षण हसरे गेले कि इथे
कुणीच कुणाचे रुणी नसते
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लक्ष्मण शिर्के

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