1.30.2010

नाही भावनांना दोष देत

नाही भावनांना दोष देत
पन मनाचा हळवेपणा जात नाही
या गुलाबी पसरलेल्या थंडीतही
दुनियेचा कानोसा घेत नाही
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लक्ष्मण शिर्के
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नवरा म्हणता म्हणता
झाला त्याचा नवरोबा
बायकोपुढे रोजच राहतो
आज काय करु म्हनुन उभा
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लक्ष्मण शिर्के
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शेतकर्यांचा देश म्हटले जातय आपणास
पन आज दिली जात नाही किंमत
कांदा आणि भाकरी हेच त्याच पक्वान्
पन आजसुद्धा तो का आहे असा मरत
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लक्ष्मण शिर्के
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दुखामागुन सुखाचा असा
दिवस नेहमीच येतो
भाव भावना असतातच कायम
काळ नेहमी वाया जातो
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लक्ष्मण शिर्के
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स्वप्न म्हणे केव्हा केव्हा
तंतोतंत खरी ठरतात
सुखाचा शोध घेणार्याच्या
नेहमीच ती मनी स्मरतात
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लक्ष्मण शिर्के

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