मैफ़िल ही रंगणारच
रंगविणे आपले कामच आहे
नटरंगी या दुनियेत
जगणे आपला नियमच आहे
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लक्ष्मण शिर्के
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कडाक्याच्या थंडीचा महिना
मला सहनच होत नाही
सकाळी सकाळी उठताना
माझी झोपच जात नाही
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लक्ष्मण शिर्के
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दाणा दाणा कणसाला
पाहुन मन उत्साहित होते
माझ्या शेतात हसत
मन पुन्हा पुन्हा जाते
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लक्ष्मण शिर्के
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तुझी गरज नक्कीच भासेल
ध्येय गाठण्यासाठी मला
शब्दांचा आधारही तुझा
सावरेल तेव्हा मला
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लक्ष्मण शिर्के
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अशी का नेहमीच येते
तुला माझी आठवण
ह्रदयाच्या रम्य बागेत
किती करतोस माझी साठवण
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लक्ष्मण शिर्के
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