1.30.2010

मैफ़िल ही रंगणारच

मैफ़िल ही रंगणारच
रंगविणे आपले कामच आहे
नटरंगी या दुनियेत
जगणे आपला नियमच आहे
___________
लक्ष्मण शिर्के
--------------------------------------------------
कडाक्याच्या थंडीचा महिना
मला सहनच होत नाही
सकाळी सकाळी उठताना
माझी झोपच जात नाही
___________
लक्ष्मण शिर्के
--------------------------------------------------

दाणा दाणा कणसाला
पाहुन मन उत्साहित होते
माझ्या शेतात हसत
मन पुन्हा पुन्हा जाते
___________
लक्ष्मण शिर्के
--------------------------------------------------

तुझी गरज नक्कीच भासेल
ध्येय गाठण्यासाठी मला
शब्दांचा आधारही तुझा
सावरेल तेव्हा मला
___________
लक्ष्मण शिर्के
--------------------------------------------------

अशी का नेहमीच येते
तुला माझी आठवण
ह्रदयाच्या रम्य बागेत
किती करतोस माझी साठवण
___________
लक्ष्मण शिर्के

No comments:

Post a Comment