आठवते मज आई
नयनी वाहते अश्रु
नाही शकत कधीच मी
तिच्या उपकारांना विसरु
___________
लक्ष्मण शिर्के
---------------------------------------------------------------
थोर तुझे उपकार आई
जन्म दिलास मला
सांभाळ केलास तळहाताच्या फोडाप्रमाने
कस आता विसरु तुला
___________
लक्ष्मण शिर्के
---------------------------------------------------------------
हसुन हसुन पोट दुखते
असे सगळॆच म्हनतात
तरी पन पोट धरुन खो खो
हास्य मनी का आणतात
___________
लक्ष्मण शिर्के
---------------------------------------------------------------
या वेळची गुलाबी थंडी
थोडी वेगळीच आहे
मन सुखावणारा गारवा
मजा एक आगळीच आहे
___________
लक्ष्मण शिर्के
---------------------------------------------------------------
का असंख्य प्रश्न उभे राहतात
माझ्याशी तु बोलताना
मुक का राहतेस अशी
माझ्या डोळ्यात तु पाहताना
___________
लक्ष्मण शिर्के
No comments:
Post a Comment